एक चमत्कार की तलाश-
रॉक पेंटिंग तिब्बती रिहायश मनोरम मंदिर और किलों के साथ बडे-बडे जलाशय ओडिशा के अनोखे, अज्ञात गंतव्य हैं
अंजान जगहों की खोज करने से यात्रा का एक आनंद और भी बढ जाता है। ओडिशा एक प्राचीन स्थल होने के साथ यहां की समृद्ध विरासत में असंख्य दिलचस्प गंत्वय मौजूद हैं जिनमें से अनेक के बारे में बहुत कम जानकारी है, इन्हें अभी तक खोजा नही गया है चाहे ओडिशा के दस्तकारों और कलाकारों की अति विशाल वास्तुकला शक्ति को दर्शन वाले स्मारक हों या राज्य की भरपूर प्राकृतिक संपदा ओडिशा के दस्तकारों और कलाकारों की अति विशाल वास्तुकला शक्ति को दर्शन वाले स्मारक हों या राज्य की भरपुर प्राकृतिक संपदा ओडिशा में ऐसे अनेक स्थल है जो सबसे अधिक थके हुए यात्री की भी दिलचस्पी बढा सकते है।
सीताबिंजी का टेम्पेरा चित्र: ओडिशा के क्योंझर जिले के सीताबिंजी गांव को चित्रकला के एक प्राचीन स्वरुप- टेम्पेरा विधि का घर होने का विशेष महत्व प्राप्त है। एक ऐसा चित्र जो 5वीं और 7वीं शताब्दी के बीच का है. दो विशाल ग्रेनाईट चट्टानों के बीच स्थित है जिन्हें रावण की छाया कहते है। इस स्थान को यह नाम पास में बहने वाली सीता नदी के नाम पर दिया गया है. इस चित्र में एक शाही जुलुश का चित्रऩ किया गया है जिसके बारे ऐसा कहा जाता है कि इसका कोई धार्मिक महत्व नही है, आसपास की गुफाएं संपन्न शैव समुदाय का संकेत देती है, इस पर मुख लिंग उपस्थित है, जो चार मुख वाले भगवान शिव का लिंग है। खुरदुरी ग्रेनाईट की सतह पर चूने की पतली परत लगातार इसे चिकन बनाया गया था जल्दी सूखने वाले रंगों का इस्तेमाल करते हुए इस पेंटिग की विषय वस्तु बनाई गई। पेंटिग के नीचे संस्कृति की सूक्तियों में दृश्यों का वर्णन किया गया और इसका इतिहास महाराज दिशागंज से संदर्भित है जिन्हें प्रारंभिक भंज राजा माना गया है। इतिहास प्रेमियों की खोज का यह एक बडा दिन था जब सोपस्टोन से बनी हुई आकृतियां और कुषाण अवधि के सिक्के भी खोज गए थे। हालाकि पेंटिंग के निचले भाग पर मौसम और पानी के रिसाव से खराबी आ गई है, फिर भी भाग्य से इसका अधिकांश हिस्सा अच्छी संरक्षण स्थिति में है जिसका कारण इस कला के ठीक ऊपर चट्टानों पर तराशी गई एक नाली है। सीताबिंजी के पर्वतीय आवास में जाते समय इसके आसपास अनेक स्मार्क देखे जा सकते हैं जिसमें भंडार घर गुफाएं शिलालेख भित्ति चित्र और वाल्मीकि आश्रम शामिल हैं।
चंद्रगिरि में तिब्बती रिहायश: फुटसोकलिंग में लघु आकार का तिब्बत देखें, चंद्रगिरि में खुशी व बहुलता की भूमि जो समुद्र तल से 1300 फुट की ऊंचाई पर एंव पश्चिमी ओडिशा के गजपति जिले के ब्रह्रापुर से 80 किमी की दूरी पर है। यह उन आरंभिक पुन स्थापना ग्रामों में से एक हैं जहा 1963 में तिब्बतियों ने अपने घर बनाए थे। जब इन रिहा