ओडिशा के तट रेशमी रेत से भरे हुए हैं

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ओडिशा के तट रेशमी रेत से भरे हुए हैं

जहां ऊंची-ऊंचीं लहरें उठती रहती है और ताड़ व काजू के पेड़ नमकीन रेत को चूमते रहते हैं। दूर तक फैले समुद्र पट और रेत की कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध ओडिशा के समुद्र तट एक बार जो कोई घूम लेता हैं। तो फिरोजी नीला समुद्री और बंगला की खाड़ी में अस्त होता सूरज उनकी यादों में हमेशा के लिए बस जाता है। 480 किलोमीटर लंबी तट रेखा और छह तटीय जिले पारिस्थितिकी के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र हैं। ओडिसा के तटीय मैदानों में स्वर्णरखा, बुद्रधबालंगा वैतरणी,ब्रह्माणी, महानदी और रुशीकुल्या जैसी कई बडी नदियों के डेल्टा हैं। इसलिए ओडिशा के तटवर्तीय मैदान को हेक्साडेल्टिक क्षेत्र और ‘छह नदियों का उपचार भी कह सकते है।

चांदीपुर: चांदीपुर एक विशेष तट है। केवल समुद्र के कारण ही नही बल्कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यह तट बेहद  चमकीला होता जाता है। चांदीपुर सिर्फ काजू के पेडों और समुंद्र टीलों के लिए ही खास नहीं है, बल्कि ज्वारभाटेके दौरान समुंद्र 1 से 5 किलोमीटर तक पीछे हटने के कारण भी खास है। ऐसा सिर्फ यहीं पर हैं, जहां समुद्र के अंदर टहलाकर या जीप की सवारी का आनंद ले सकते हैं। चांदी छोटे-छोटे केकड़ों का भी घर है।

कहां है: बालासोर से 16 किलोमीटर और बालारामगढी से 2 किलोमीटर। निकट रेलवे स्टेशन बालासोर है।

सबसे अच्छा मौसम: सितंबर से मार्च

और यहा आसपास: अरादि का शिव मंदिर, रेमुना का गोपीनाथ मंदिर, सिमिलीपाल वन्यजीव अभयारण्य, देवकुंड का शक्ति तीर्थ, नीलगिरी (ट्रेक्किंग के लिए प्रसिंद्ध) और पंचलिंगेश्वर तीर्थ।

चंद्रभागा: इसे अकसर दुनिया का सबसे अच्छा समुद्र तट का दर्जा दिया जा चुका है। चंद्रभागा में सफेद रेत और नीले समुद्र की लंबी पट्टी है। हालांकि यह कोई सामान्य तट नही है, बल्कि लोग चंद्रभागा में सूर्योदय देखने के लिए भी आते हैं। अच्छी बात यह है कि यहां भीड़ कम होती है और आपको सूर्योदय काफी मनोरम नजर आएगा। एक स्थानीय मछुआरे से अनुरोध करें तो वह आप को नौका की सवारी या मछली पकडने के लिए ले जा सकता है। प्राचीन कथाओं एक साधु की पुत्री थी भगवान सूर्य से अपने सतीत्व की रक्षा करने के लिए उसने खुद को मदी में औषधीय संपत्तियों का वरदान देकर इसे चंद्रभागा नाम दिया । पहले चंद्रभागा को कुष्ठ रोगियों के लिए उपचार का स्थान माना जाता था।

कहां है: पुरी शहर मे 30 किलोमीटर और कोणार्क सूर्यमंदीर सूर्य मंदिर से 3 किलोमीटर पूर्व में स्थित। निकटतम रेलवे स्टेशन पुरी है।

सबसे अच्छा मौसम: साल भर। चंद्रभागा मेले (माघ महीने के सातवें दिन) के दौरान जब श्रद्धालु पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के लिए आते है या दिसंबर में कोणार्क उत्सव के दौर

आसपास: कोणार्क (3 किमी), पीपली (45 किमी), बालीघई (10 किमी)

गोलापुर: बेहरमपुर मूल रुप में और प्राचीन काल से विद्धमान गोलापुर का एक छोटा सा अनछुआ शांत तट है। यहां कतार में खडे काजू के पेड़ नजर आते हैं। यहा एक पुराना किला है. जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा इस्तेमाल किया जाता था और एक लाइट हाउस भी है जो उसके स्वर्णिम प्रयटकों की भीड-भाड कम होती है।

कहा है: भुवनेश्वर से 180 किलोमीटर और कटक से 200 किलोमीटर दूर। निकट रेलवे स्टेशन ब्रह्मपुर।

सबसे अच्छा मौसम: साल भर।

यहा और आसपास: चिल्का (45 किमी) ताप्तापानी (75 किमी) बारकुल (60 किमी)

पुरी: बंगाल की खाडी के बिल्कुल किनारे स्थित पुरी तट को भारत को सर्वश्रेष्ठ समुद्री तटों के रुप में जाना जाता है। पुरी स्वर्णिय रेत, सुंदर मंदिरों और वास्तुकला की धरती है। साथ ही इसके तट अविश्वसनीय रुप से बेहद साफ होते हैं। पुरी का सबसे बडा आकर्षण भगवान जगन्नाथ और विशेष तटों होती है।

कहां है: कटक से 85 किलोमीटर और मंदिरों के शहर भुवनेस्वर से 65 किमी की दूरी पर। रेल के लिहाज से पुरी एक व्यस्त शहर है।

सबसे अच्छा मौसम: साल भर।

आसपास: कोर्णाक (36 किमी), पीपली (40 किमी), (110 किमी)।

आर्यपल्ली: औडिशा के प्रसिद्ध और सुंदर तटों में से एक आर्यपल्ली सूर्यस्नान, किनारों पर टहलने और तैराकी के लिए बिल्कुल सही स्थान है।

कहा है: ब्रह्मपुर से 30 किमी और छतरपुर से 6 किमी निकटतम रेलवे स्टेशन छतरपुर है।

सबसे अच्छा मौसम: अक्टूबर से जून।

बालीघई: प्रसिद्ध पुरी तट से लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित बालीघई एक सुंदर तट है. जो तैराकी के लिए बिल्कुल सही स्थान है और पसंदीदा पिकनिक स्थल है। इस तट का एक अन्य आकर्षण केंद्र द सी टर्टल रिसर्च सेंटर है।

कहा है: पुरी तट से 8 किलोमीटर की दूरी पर। निकटतम रेलवे स्टेशन पुरी है।

समसे अच्छा मौसम: नंवंबर से मार्च।

पारादीप: महानदी के डेल्टा और बंगला की खाड़ी के निकट स्थित पारादीप बेहद शांत है। पारादीप राज्य का सबसे बडा बंदरगाह है और इसके तट को नीले पानी, चमकीली रेत और हरियाली के लिए जाना जाता है।

कहा है: कटक से 94 किमी और भुवनेश्वर से 125 किमी की दूरी पर। निकटतम रेलवे स्टेशन कटक है।

सबसे अच्छा मौसम: नवंबर से मार्च तक।

आसपास: केंद्रापारा में भगवान बलदेव का मंदिर, झानकद में देवी सरला का मंदिर, भितरकनिका राष्ट्रीय उघान, गहीरमठ जिसे समुद्री कछुओं और वाटर मॉनिटर लिज़डर्स के लिए जाना जाता है। साभार प्रीति वर्मा लाल

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